क्या आप दर्पण के सामने कह सकते है कि आप पवित्र है? तो फिर क्यों सुने ईश्वर!
अधिकतर लोग पूजा-पाठ करते हैं ,कुछ बहुत अधिक करते हैं कुछ कम करते हैं । कुछ हाथ जोड़कर काम चला लेते हैं । किन्तु कुछ को कृपा इश्वर की मिल पाती है और अधिकतर को नहीं मिलती और वह भ्रम पाले रहते हैं की ईश्वर शायद परीक्षा ले रहा है , कारण परिक्षा नहीं होता, कारण आपकी खुद की कमियाँ होती हैं , आप शुद्ध -पवित्र -नैतिक दृष्टि से सही -चारित्रिक दृष्टि से सही नहीं हैं इसलिए आपको पूर्ण कृपा नहीं मिल पाती । क्या आप ईश्वर के सामने जल-अक्षत-पुष्प लेकर संकल्प पूर्वक कह सकते है की यदि में…
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