भोपाल

बीडीए की आवंटित जमीन पर नगर निगम ने बना दिया पीएम आवास प्रोजेक्ट, स्टे पर भी नही रोका काम, कोर्ट ने अवमानना नोटिस थमाए

भोपाल

भोपाल। साल 2000 में बीडीए ने कोहेफिजा में रिक्त पड़ी जमीन को शासन से अधिकार प्राप्त करने के बाद खुली निविदा के माध्यम से निविदाएं आमंत्रित की थी। उक्त जमीन के बरसों पहले आवंटन के बाद जमीन रिक्त देखकर उसी जमीन पर लॉकडाउन के दौरान नगर निगम ने कोहेफिजा प्रधानमंत्री आवास योजना प्रोजेक्ट के अंतर्गत मल्टी निर्माण शुरू कर दिया। नीलामी में खरीद चुके प्लाट धारकों को जब ज्ञात हुआ तो बीडीए से बात की। भोपाल कोर्ट से स्थगन आदेश लिया। कुछ प्लाट धारकों ने जबलपुर हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लिया। बावजूद उसके निर्माण बंद नही किया गया । दोबारा मामला कोर्ट पहुँचा तो भोपाल न्यायालय ने इसे न्यायालय की अवमानना माना है। नगर निगम प्रशासक और नगर निगम कमिश्नर शायद न्यायालय से भी बड़े है। 
 मिली जानकारी अनुसार साल 2000 में कोहेफिजा के बी सेक्टर में शासन से जमीन हासिल करने के बाद बीडीए ने खुली निविदा के माध्यम 25 से 29 नम्बर तक के 40x80 के 5 प्लाट के बंद लिफाफों में टेंडर मंगवाए। टेंडर में मोहम्मद उमरखान, इकबाल हुसैन, पवन कुमार, हरिकृष्ण तुगनायत आदि को प्लाट आवंटित कर दिए गए। 
प्लाट आवंटन के बाद मौके पर झुग्गी झोपड़ी होने से तत्समय प्लाटों की सुपुर्दगी नही की जा सकी। साल 2019 के जनवरी में बीडीए ने झुग्गी हटवाकर प्लाट धारकों को सुपुर्दगी देने की बात कही लेकिन झुग्गी हटने के बाद साल 2020 में लॉकडाउन लग गया। इसी दौरान नगर निगम ने प्लाट के पास मौजद नाला डायवर्ट किया तो यहां खुली भूमि देखकर अन्य शासकीय भूमि के साथ निजी प्लाट भी कब्जे में लेकर पीएम आवास योजना के अंतर्गत निर्माण करना शुरू कर दिया। 
लॉकडाउन खुला तो प्लाट धारक हरिकृष्ण तुगनायत की पत्नी अवंतिका तुगनायत ने हाईकोर्ट का सहारा लिया और उनके साथ अन्य लोगों ने मिलकर निर्माण पर स्टे ले लिया। 22 अक्टूबर 2020 को 12वें अपर सत्र न्यायाधीश भरतकुमार व्यास ने मामले में स्टे जारी कर दिया। इसमे 26 नम्बर प्लाटधारी इकबाल हुसैन ने अलग से स्टे ऑर्डर लिया। बावजूद उसके नगर निगम भोपाल ने कुछ दिन काम रोककर कोविड के दौरान कंस्ट्रक्शन शुरू कर दिया । लेकिन निगम ने काम नही रोका। 
ऐसे में हरिकृष्ण तुगनायत की मृत्यु के बाद अब उनकी वारिस अवंतिकादेवी पत्नी हरिकृष्ण तुगनायत ने अन्य आवेदकों के साथ पुनः न्यायालय में अपील की जिसमे न्यायालय द्वारा स्टे के बाद भी काम नही रोकने पर भोपाल निगमायुक्त एवं प्रशासक पर अवमनाना का केस लगाया है।