राजगढ़

अधिकारियों की सांठ गांठ से चलती है बीएसएनल फाइबर लाइन से सिटी केबल, पकड़ाए तो कर्मचारी पर लगा दिया चोरी का आरोप

राजगढ़

अधिकारियों की सांठ गांठ से चलती है बीएसएनल फाइबर लाइन  से सिटी केबल 
पकड़ाए तो कर्मचारी पर लगा दिया चोरी का आरोप

●माखन विजयवर्गीय

राजगढ़ जिले में बीएसएनएल के कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। गत माह नरसिंहगढ़ में विजिलेंस टीम द्वारा एक लाइन पकड़ में आने के बाद एसडीओटी ब्यावरा प्रेमनाथ गौतम ने नरसिंहगढ़ थाने में एफआईआर लिखवाई। लेकिन नरसिंहगढ़ टीआई रविन्द्र चावरिया ने मामले में बिना पड़ताल ही पचोर एवं नरसिंहगढ़ के केबल ऑपरेटर के दो कर्मचारियों पर चोरी का केस लाद दिया। जबकि असली मामला बीएसएनएल की फाइबर केबल में कट डालकर लाइन पचोर से नरसिंहगढ़ सिटी केबल चलाने का है। 

इस मामले में पड़ताल करने पर बयानों में विरोधाभाष मिलने पर स्टेट न्यूज ने खोजबीन की तो मामले में चोंकाने वाले तथ्य सामने आए है। 
पीएन गौतम ने बातचीत में बताया कि उन्होंने केबल में कट डालकर नरसिंहगढ़ में सिटी केबल चलाने की शिकायत की थी। जबकि पुलिस ने केबल चोरी का मामला बनाकर पहले असली आरोपी केबल ऑपरेटर कमल सूर्यवंशी शाजापुर एवं नितिन नरसिंहगढ़ को दबोचा लेकिन बाद दोनों से सांठगांठ होने पर नरसिंहगढ़ केबल ऑफिस कर्मचारी अरुण और पचोर में केबल कनेक्शन रिचार्ज करने वाले गजेंद्र पर केस लाद दिया। 

क्या है असली मामला 

हमारी पड़ताल में जानकारी मिली की  जितेंद्र काले उज्जैन एवं कमल सूर्यवँशी शाजापुर नामक युवक राजगढ़ जिले के ब्यावरा पचोर सारँगपुर नरसिंहगढ़ आदि शहरों में केबल कनेक्शन आपरेट करते हैं। चूंकि जगह जगह छतरियां, डिकोर्डर , आदि लगाना असंभव है अतः यह लोग ब्यावरा और पचोर में लगी छतरियों से केबल लाइन को बीएसएनएल की ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाते हैं। एक नम्बर में बीएसएनएल ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन के माध्यम से लाइन पहुंचाने का किराया लाखों रुपए मासिक होता है इसलिए यह लोग एकाद शहर का कनेक्शन लेकर बाकी शहरों में बीएसएनएल के कर्मचारियों की मिलीभगत से तार जोड़कर लाइन शुरू कर देते है । जिसकी एवज में कर्मचारियों को मासिक मोटी रकम दी जाती है।
सोचने वाली बात यह भी है कि बीएसएनएल की ऑप्टिकल फाइबर केबल जमीन के अंदर है जिसकी जानकारी सिर्फ बीएसएनएल के कर्मचारियों को ही होती है तो फिर ब्यावरा से पचोर एवं पचोर से नरसिंहगढ़ बिना बीएसएनएल के कर्मचारी के जोड़ना संभव नही है। क्योंकि इसके एक ही रंग के अनेक वायर होते है जिनमे कोडिंग रहती है जिसको सिर्फ अधिकृत व्यक्ति ही पहचानता है। ऐसे में पुलिस द्वारा दो गरीब कर्मचारियों पर चोरी का आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाना पुलिस की नाकाबिलियत दर्शाता है। 
हमारी पड़ताल में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए है जिसमे दयाल नामक एक बीएसएनएल का कर्मचारी सौदेबाजी कर रहा है। 35 हजार से 40 हजार मासिक लेने की बात चल रही है। जिसमे दयाल बता रहा है कि नितिन की नरसिंहगढ़ साहब की बात हुई। उसके बाद उसे कमल भैया ने 5 हजार दिए है जिसमे उसने दो दिन के लिए नरसिंहगढ़ की लाइन शुरू की है। उसमे उसने बताया कि अभी दो दिन के लिए शुरू की है सौदा ठहर गया तो फिर चला देंगे। 
उल्लेखनीय है कि पचोर के जिस केबल ऑपरेटर कर्मचारी पर पुलिस ने केस लादकर जेल भेजा था वो कुछ महीनों से काम छोड़ चुका था तब पचोर से नरसिंहगढ़ लाइन नही थी। लेकिन इसी बीच कमल सूर्यवँशी ने दूसरे को पचोर लाइन ऑपरेट करने के लिए दी थी। नरसिंहगढ़ में मामला दर्ज होने के बाद कमल ने पुनः कर्मचारी को आश्वासन देकर बुलाया और उसे यहां से बहलाक़र बयान के बहाने नरसिंहगढ़ बुलाया और वहां जाकर आरोपी बना दिया। ऐसा ही नरसिंहगढ़ के कर्मचारी अरुण के मामले में है उसे नितिन ने कहा कि वो इंदौर है और दो दिन में उसकी जमानत करवा देगा इसके बदले में वो उसे एवज भी देगा। 
इस तरह दो निर्दोष आरोपी बन गए। पुलिस अगर इस मामले में एक्सपर्ट से पड़ताल करवाए तो बीएसएनएल के कुछ कर्मचारी एवं मुख्य आरोपी सामने आ सकेंगे।