राजगढ़

सिविल सर्जन बोले डॉक्टर में हूँ या तुम और जेल की जगह अस्पताल में ही कैदियों को भर्ती कर लिया

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सिविल सर्जन और सीएमएचओ का कारनामा: जेल की जगह अस्पताल में दे रहे कैदियों को शरण, रिहाई आदेश से हुआ खुलासा।


टीआई ने सिविल सर्जन से पूछा तो बोले डॉक्टर में हूँ या तुम

 

मप्र के राजगढ़ में चोंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जेल वारंट के बाद जेल भेजे जाने वाले कैदियों को बीमार बताकर अस्पताल में ही स्थान दे दिया और पुलिस को फटकार लर वापस कर दिया। सात दिन बाद आरोपियों की रिहाई के आदेश जब जेल पहुंचे तो मामले का खुलासा हुआ कि जिन आरोपियों की रिहाई के आदेश है वो आरोपी तो जेल में दाखिल हुए ही नहीं। उसके बाद मुख्य जिला सत्र न्यायाधीश ने सीएमएचओ और पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।
  किसी मामले को लेकर 21 दिसंबर को आरोपी मानसिंह, लक्ष्मण और प्रभुलाल को अपर जिला सत्र न्यायाधीश राजगढ़ ने जेल वारंट पर जेल भेजा था। 29 दिसंबर को आरोपियों की रिहाई के आदेश जब जेल पहुंचे तो खुलासा हुआ कि आरोपी तो जेल पहुंचे ही नहीं। खोज शुरू हुई तो आरोपी अस्पताल के जेल वार्ड में पाए गए।
इस मामले में जहां न्यायालय ने सीएमएचओ और पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किए है वहीं कोतवाली थाना प्रभारी मुकेश गोड़ का कहना है कि हमारे सिपाहियों के द्वारा कैदियों को जेल दाखिल करने भेजा गया था। लेकिन जेल और मानव अधिकार आयोग के नियमानुसार पहले एमएलसी के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। जहां सिविल सर्जन ने आरोपियों को कोरोना जांच और शारीरिक जांच के बाद अस्पताल में दाखिल जार दिया। इस बात को जब सिपाहियों ने तुरन्त मुझे बताया तो हमने सिविल सर्जन से बात की और कहा कि आप जाने दीजिए , जेल दाखिल होने के बाद जेल प्रशासन चाहे तो बीमार होंगे तो अस्पताल भेज देगा। इस पर सिविल सर्जन ने कहा कि डॉक्टर में हूँ या तुम , वो बीमार है उन्हें भर्ती करना पड़ेगा। तो हमारे जवान जेल वारंट उन्हें सौंपकर वापस आ गए।