उज्जैन

पत्रकार के प्रकरण की जांच में क्यों हो रही देरी

उज्जैन

*जिला:-उज्जैन*
*लोकेशन:-कायथा*
*संवादाता:-नूतन गिरी गोस्वामी

*आइए अब हम आपको दिखाते हैं उज्जैन जिले के तराना तहसील के कायथा का सच जहां एक पत्रकार पर षडयंत्र पूर्वक राजनीतिक दबाव एवं लालच में आकर  थाना प्रभारी उप निरीक्षक प्रदीपसिंह राजपूत द्वारा दर्ज किए  गए झूठे प्रकरण का ।*

 मामले में पत्रकारों ने ज्ञापन के माध्यम से एसडीएम एसडीओपी  आईजी एवं गृह मंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी लेकिन 1 सप्ताह हो गया है जांच में देरी हो रही एेसा क्यो ? कहीं सीसीटीवी फुटेज के ऑटोमेटिक रिमूव होने का इंतजार तो नहीं किया जा रहा

जहां सत्ता सच को दबाना चाहती है। हम आपको दिखाते हैं पत्रकार के विरोध एवं पुलिस के समर्थन में निकली रैली का सच

 कोरोना संक्रमण में प्रशासन के निर्देश के बाद 5 जुलाई रविवार  को दुकान खोलने वाले व्यापारियों द्वारा  दिए गए आवेदन एवं व्यापारियों द्वारा मामले से हाथ खींचने पर थाना प्रभारी द्वारा राहुल पिता श्याम राठौर से आवेदन लेकर पत्रकार नूतन गिरी पर झूठा प्रकरण दर्ज कर दिया था मामले में
थाना प्रभारी अपनी गुथी उलझते देख  कुछ  पत्रकारो का सहारा लेकर उच्च अधिकारियों एवं जनता को  गुमराह करने के लिए व्यापारियों से रैली निकलवाई । ताकि मामले को दबाया जा सके

जिन व्यापारियों द्वारा पुलिस के समर्थन में रैली निकाली गई उनमें सभी भारतीय जनता पार्टी के  कार्यकर्ता व समर्थक हैं।
पत्रकार पर झूंठा आरोप लगा रहा व्यक्ति व्यापारी के रूप में भाजपा तराना ग्रामीण मंडल उपाध्यक्ष भंवरसिंह चावड़ा है। तो दुसरा व्यापारी संघ का अध्यक्ष राकेश अग्रवाल सहित कई भाजपा कार्यकर्ता जिनमें कायथा बुथ अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह चावड़ा, बुथ अध्यक्ष रूपेश राठौर ,पूर्व नगर इकाई अध्यक्ष बंटी चौधरी युवा मोर्चा में पू्र्व सदस्य कान्हा राठौर नंदू राठौर, दिनेश कानडी , लाला जैन अनीश पानवाला आदि 4-5 अन्य व्यक्ति रैली में शामिल हुए  
जिससे  साफ होता है कि लोकतंत्र की दुहाई देने वाले भाजपा के शासन में मीडिया की आवाज को दबाया जा रहा है।

*बाईट:-पीड़ित पत्रकार*