भोपाल

अब निकाय की जमीनों पर खुलेगी मप्र की 3600 शराब दुकानें

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     भोपाल .प्रदेश में बेतरतीब ढंग से खुलीं शराब की 3600 दुकानों को राज्य सरकार अब व्यवस्थित करने की तैयारी कर रही है। अस्पताल, स्कूल, शिक्षण संस्थान और रिहायशी इलाकों के पास ये दुकानें न हों, इसका परीक्षण नगरीय निकाय करेंगे। फिर वही सबसे मुफीद जगह देंगे। इसी को सामने रखकर शराब दुकानों के लाइसेंस जारी किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि आबकारी विभाग इन जगहों को स्थाई करेगा और हर साल नया लाइसेंस देते समय पुराने कॉन्ट्रैक्टर से जगह खाली कराएगा। इसका मसौदा तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।

एक अप्रैल 2020 से नए लाइसेंस दिए जाने हैं। िवभाग का प्रयास है कि इससे पहले ही निकाय शराब दुकानों के लिए जगह तय कर लें। हर साल यह दिक्कत आती है कि नए व्यक्ति को लाइसेंस तो मिल जाता है, लेकिन उसी जगह पर पहले दुकान संचालित कर चुका व्यक्ति जगह नहीं देता। लिहाजा उसे आसपास ही नई जगह लेनी पड़ती है। इसमें कई मर्तबा विवाद होता था कि प्रतिबंधित जगह पर दुकान खोल दी गई। इसी के मद्देनजर नया रास्ता खोजा गया है। नगर निगम, नगर पालिका व परिषद और ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र में दुकान देंगे। साथ ही बाजार दर से किराया लेंगे। सरकार का दावा है कि इससे एकाधिकार खत्म होने के साथ शराब की दुकानें भी व्यवस्थित हो जाएंगी। वे रेग्युलराइज भी की जा सकेंगी।

यह फायदा
सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा :
सरकार को सालाना 10 हजार करोड़ रु. से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी मिलती है। इस बार 13000 करोड़ रेवेन्यू की उम्मीद।

अभी दिक्कत
नई दुकान, नई जगह :
ठेका खत्म होने के बाद भी पुराना ठेकेदार जगह नहीं छोड़ता, इसलिए नए ठेकेदार को होती है परेशानी।

1 अप्रैल 2020 से दिए जाने हैं नए लाइसेंस

  • 1061 विदेशी
  • 2544 देसी दुकान

खपत :5 करोड़ बल्क लीटर विदेशी10 करोड़ बल्क लीटर देसी और इतने ही लीटर बीयर।

अहातों का क्या होगा? नगरीय निकाय जगह देने के बाद यह भी देखेंगे कि जिनकी दुकानों के साथ अहाते जुड़े हुए हैं उन्हें भी जगह मिल जाए। नगर निगम इसका भी किराया लेगा।

लाइसेंस के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी :सरकार ने 2018-19 में 9500 करोड़ रु. से ज्यादा की एक्साइज ड्यूटी जुटाई थी। इस बार लक्ष्य 37% बढ़ाकर 13000 करोड़ रु. कर दिया गया है। विभाग का मानना है कि दुकानें व्यवस्थित होंगी तो लाइसेंस के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

कोशिश रहेगी कि लोगों को दिक्कत न हो :हमारी कोशिश है कि एेसी जगह पर दुकान न खुले, जिससे लोगों को दिक्कत हो। जो दुकानें निगम, पालिका, परिषद या पंचायतें देंगी, उसी में दुकान चलेगी। निकायों को भी अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। - बृजेंद्र सिंह राठौर, मंत्री वाणिज्यिक कर विभाग