वर्तमान पीढ़ी ने यदि प्रकृति द्वारा मुफ्त में मिले जल, जंगल, जीव और नदी, पहाड़ का संरक्षण नही किया तो आने वाली पीढ़ी को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। धरती पर प्राकृतिक ऊर्जा, हवा ,पानी और प्रकाश की कमी मनुष्य को जीते जी ही मार डालेगी। ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट डिस्टरवेन्स से धरती के अस्तित्व को भी खतरा है। पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने के लिए पेड़ो का लगाया जाना ,वन्य जीवों, पक्षियों का जीवन और जल संरक्षण का किया जाना हमारी प्रथमिकताओ में शामिल होना चाहिए। इसके लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास नाकाफी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जन अभियान की जरूरत है। यह समय की मांग है ।यही कामना करते हुए जनपद की रंग संस्था अस्मिता नाट्य संस्थान ने पर्यावरण दिवस के पूर्व संध्या परआर्य समाज मन्दिर के प्रागण मे एक नुक्कड़ नाटक व विचार गोष्ठी किया,कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डा०आन्नद श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय मे जहा हर इन्सान बडे पेडो की छाव चाहता है परन्तु पेड लगाना नही चाहता है मुख्य वक्ता दिनेश चन्द्रा व कवि ईन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने सयुक्त रूप से कहा कि पर्यावरण के असन्तुलन से हमारे जीवन मे अनको बदलाव आ रहै जो कि हानिकारक है निर्देशक विजय गुप्ता ने कहा कि अगर ईसी तरह पर्यावरण को नुकसान पहुचाया गया तोहमारी आने वाली पिढ़ियो को इसका भयावह रुप देखने को मिलेगा रतन लाल श्रीवास्तव नेकि सिर्फ पेड़ पौधे ही नही बल्कि हमेहर उस प्रदुषित वस्तुओ से दूर। रहना है जो समाज के हित मे नही हैनाटक मे राजु एक्टर रविशंकर गुड्डू विश्वकर्मा। जमील सिद्दीकी दैवेस महाराज अनवर सादात व महिला पात्र अंजू चौहान ने भावपूर्ण अभिनय किया,कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा०राजकुमार गुप्ता ने कहा कि आज प्रदुषण इस तरह फैल गया हैजैसे हमारे समाज का अभिन्न अंग हो। जबकि यह सदैव ही सभ्य समाज का दुश्मन हैऔर संचालन प्रमोद अग्रहरि ने किया
सूर्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट