बैतूल : वन विभाग अभी तक अपने कारनामों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहता है। ताजा मामला शाहपुर उपवनमंडल का है जहां पर उपवनमंडल अधिकारी द्वारा अपना अधिकार क्षेत्र में उपवन क्षेत्रपाल को प्रभार संपादन करने का आदेश जारी किया गया है । जबकि यह पावर उपवन मंडल अधिकारी को शासन द्वारा प्राप्त ही नहीं है । वन क्षेत्रपाल के अनुपस्थिति में किसी अन्य कर्मचारी, अधिकारी को प्रभार देने के लिए डीएफओ या सीसीएफ के पास अधिकार है कि वह अनुपस्थित वन क्षेत्रपाल के स्थान पर अन्य वन क्षेत्रपाल को प्रभार दिया जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार उपवन मंडल अधिकारी शाहपुर सामान्य ने 8 अप्रैल को एक पत्र जारी कर श्री कैलाश खातरकर प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी भौरा को अपने क्षेत्र के साथ-साथ परिक्षेत्र अधिकारी शाहपुर की अनुपस्थिति अवधि तक परिक्षेत्र शाहपुर सामान्य का प्रभार तत्काल कार्य संपादित करने हेतु दिया गया है । उपवन मंडल अधिकारी ए के हनवते द्वारा अपने में वन परिक्षेत्र अधिकारी शाहपुर एम एस राणा वन क्षेत्रपाल द्वारा 16 मार्च से अपने कर्तव्य से लगातार अनुपस्थित रहने के कारण वनों की सुरक्षा एवं शासकीय कार्य प्रभारी हो रहे हैं जिसमें फायर सीजन एवं तेंदुपत्ता सीजन प्रारंभ है जिसके लिए एम एस राणा वन क्षेत्रपाल की अनुपस्थिति अवधि में शासकीय कार्य प्रभावित न हो इस हेतु समस्त कार्य के लिए कैलाश खातरकर को तत्काल प्रभाव से कार्य संपादित करने हेतु आदेश जारी किया गया है। इस आदेश को लेकर छानबीन की गई तो वर्तमान एसडीओ द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में ना होते हुए भी आदर्श आचार संहिता में नियम विरोध आदेश जारी किया गया। जिसके पीछे वन विभाग में कार्यरत बाबू गिरराज दुबे का नाम आ रहा है जिसके द्वारा एसडीओ को गुमराह कर नियम विरूद्ध अपने नियम बनाकर प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी का प्रभार तक दिया जा रहा है एसडीओ के द्वारा अपने कर्मचारियों के ऊपर इतना विश्वास है कि टेबल पर आ रहे आदेशों को बिना जांच एवं पढ़े हस्ताक्षर कर आदेश निकाले जा रहे हैं।