चंदौली

हरियाणा के एडीजीपी वाई पूरण कुमार के खुदकुशी का मामला पहुंचा मानवाधिकार आयोग...

चंदौली

सामाजिक कार्यकर्ता खालिद वकार आबिद की शिकायत पर आयोग में दर्ज हुआ प्रकरण,पूरण कुमार ने अपने सुसाइड नोट में आईपीएस,आईएएस पर तंग करने का लगाया आरोप।
हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) वाई पूरण कुमार ने मंगलवार (7/10/2025) को अपने घर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से अंग्रेजी में लिखा आठ पन्ने का सुसाइड नोट और एक पन्ने की वसीयत मिली है। सुसाइड नोट में सात-आठ आईपीएस और दो आईएएस अधिकारियों के नाम का जिक्र करते हुए उन पर तंग करने का आरोप लगाया गया है।घटना दोपहर एक बजे की है। पुरण कुमार (52) सेक्टर 11 में रहते थे। उन्होंने घर के बेसमेंट में बने साउंडपूफ मूवी थियेटर जैसे कमरे में सोफे पर बैठकर अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) के रिवॉल्वर खुद को गोली मारी थी। घर में मौजूद छोटी बेटी ने पिता को खून से लथपथ देखा तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके पर जांच की। आईजी पुष्पिंदर कुमार और एसएसपी कंवरदीप कौर ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया। मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने बाले पूरण कुमार 2001 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। 29 सितंबर को ही उन्हें सुनारिया पुलिस ट्रेनिग कॉलेज में आईजी बनाया गया था। सोशल एक्टिविस्ट व सिविल बार एसोसिएशन, जनपद चंदौली के पूर्व उपाध्यक्ष एडवोकेट खालिद वकार आबिद ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,नई दिल्ली को लिखे पत्र में गहरा दुःख जताते हुए कहा कि
यह घटना अत्यंत दुखदाई और दिल को झंझोड़ देने वाली खबर है क्योंकि वाई पूरण कुमार अनुसूचित जाति से थे उन्होंने सुसाइड नोट में 7-8 में 7-8 आईपीएस, दो आईएएस पर तंग करने का आरोप लगाया है साथ ही साथ आज घटना के छठे दिन बीत जाने के बाद भी नहीं हो सका वाई पूरण कुमार के शव का पोस्टमार्टम, चूंकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत के संविधान के तहत एक संवैधानिक निकाय है, जिसका गठन मानव जातियों के सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और सांस्कृतिक हितों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव जातियों को शोषण और भेदभाव से सुरक्षा प्रदान करना है और उनके कल्याण को सुनिश्चित करना है एडवोकेट खालिद वकार आबिद ने आयोग से निवेदन किया है कि उक्त प्रकरण में तत्काल संज्ञान लेकर उचित निष्पक्ष जाँच कर दोषियों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करें और आवश्यक हो तो इस अति गंभीर मामले को सीबीआई को जाँच सौप दिया जाये ताकि ऐसी घटना दोबारा न घटित हो सके। जिसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,नई दिल्ली ने दर्ज कर संज्ञान में ले लिया है।