पत्रकारिता की दुनिया में कलंक है ऐसे लोग
पत्रकारिता और पत्रकार शब्द का जन सरोकार से गहरा नाता है। एक भी व्यक्ति का हित होता हो तो उसके लिए खुद को समर्पित कर देना, किसी पीड़ित का हक मारा जाता हो तो उसके लिए अपनी कलम से सरकार की आंखे खोलना, सरकार अथवा प्रशासन कहीं गलत हो उसको आईना दिखाना ही आजादी के बाद पत्रकारिता का मूल उदेश्य बचा था। लेकिन अब कितने पत्रकार इस उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि विचारपरक एवं तथ्यात्मक खबरें भी लिखने वालों की कमी नही है लेकिन ऐसे पत्रकार महज एक दो कालम कभी…
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