राजगढ़

सात वर्षीय अबोध बालिका से दुष्कर्म के आरोपी को शेष जीवन तक सश्रम कैद

राजगढ़

  राजगढ/ब्यावरा। तहसील न्यायालय ब्यावरा में पदस्थ माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमति निवेदिता मुद्गल ब्यावरा ने सत्र प्रकरण क्रमांक 54/20 थाना शहर ब्यावरा के अपराध क्रमांक 49/20 धारा 376(2)(एन), 376एबी, भादंसं एवं धारा 5/6 पाॅक्सो एक्ट में आरोपी रामलाल मेवाडे(परिवर्तित नाम) निवासी ब्यावरा को सात वर्षीय नाबालिग बालिका से दुष्कर्म करने के आरोप में धारा 376(2)(एन), 376(2)(एफ) भादवि एवं 5/6 पाॅक्सो एक्ट में शेष प्राकृत जीवनकाल तक के कारावास से दण्डित किया है।

 

         अभियोजन का प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी ने 31.01.2020 को थाना ब्यावरा शहर में इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख करायी थी कि उसकी दो लड़कियां हैं जिनकी उम्र 7 वर्ष व 3 वर्ष 6 माह है। आज -सुबह 8 बजे करीब वह अपने पति के साथ अस्पताल चली गयी थी दोपहर में वह अपने घर वापस आयी उस समय अभियोक्त्री घर के सामने खेल रही थी वह अपने घर की तीसरी मंजिल पर गई और अपने बच्चों को नहलाने के लिये पानी गरम किया फिर वह अभियोक्त्री को लेने नीचे आयी तो अभियोक्त्री वहां नहीं दिखी उसने आवाज दी पर अभियोक्त्री नहीं मिली फिर वह अभियोक्त्री को ढूंढने छत पर गयी छत पर जाकर देखा कि खरे वकील की छत पर उसका चाचा ससुर रामलाल मेवाडे (परिवर्तित नाम) उसकी बच्ची अभियोक्त्री के साथ दुष्कर्म कर रहा था। यह देखकर फरियादी जोर से चिल्लाई तो काका ससुर वहां से भाग गया फिर उसने अभियोक्त्री से पूछा तो अभियोक्त्री ने बताया कि वह घर के बाहर खेल रही थी तभी काका आये और उससे बोला कि चल तुझे छत दिखाता हूं फिर उसे मुंशी जी की छत पर ले गये और गलत काम करने लगे फिर उसने पीडित बालिका से पूछा कि काका ने पहले भी ऐसा किया है क्या तो अभियोक्त्री ने बताया कि रामलाल मेवाडे(परिवर्तित नाम) काका ने 5 बार ऐसा किया है काका अपने घर ले जाता था और छत पर बुरा काम करता था। फिर उसने अभियोक्त्री से पूछा कि बताया क्यों नहीं तो अभियोक्त्री ने बताया कि काका बोलता था कि किसी को बताना नहीं नहीं तो मैं तुझे मार डालूगा । उक्त रिपोर्ट पर से आरक्षी केन्द्र शहर ब्यावरा द्वारा अपराध क्रमांक-49/2020 अंतर्गत धारा 376(2)(एन) 376एबी, भादंसं एवं धारा 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की कायमी की जाकर सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

 

प्रकरण में पीडित बालिका के साथ घटित अपराध के संबंध में न्यायालय में आरोप विरचित कर अभियोजन की साक्ष्य प्रारंभ की गई। अभियोजन की ओर से अपनी साक्ष्य के प्रथम चरण में पीडित बालिका के कथन कराये गये, जिसमें पीडित बालिका एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्षियों ने न्यायालय के समक्ष पीडित बालिका के साथ हुई घटना के संबंध में कथन किये हैं।

 

माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण में महत्वपूर्ण गवाहों, चिकित्सीय एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर आरोपी रामलाल मेवाडे(परिवर्तित नाम) को शेष प्राकृत जीवनकाल तक के सश्रम कारावास से दंडित किया है। 

 

  प्रकरण में राज्य की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आलोक उपाध्याय ब्यावरा ने की है।