मंदसौर

अंतरराष्ट्रीय तस्कर का भूल भुलैया किला ढहाया

मंदसौर

मंदसौर .अंतरराष्ट्रीय तस्कर मोहम्मद शफी के 50 साल पुराने बंगले के अतिरिक्त अवैध निर्माण को मंगलवार को तोड़ दिया। प्रशासन ने पहले ड्रोन से बंगले की वीडियो रिकाॅर्डिंग कराई। यहां 8 कमरों के निर्माण की अनुमति थी। गैरेज का दरवाजा तोड़ अंदर प्रवेश किया तो खिड़की मिली। एएसपी ने खिड़की खोली तो अंदर और कमरे दिखे। इसी तरह तीन मंजिला बंगले में 20 से ज्यादा सीढ़ियां व 72 से ज्यादा कमरों की भूलभुलैया देख अधिकारी भी दंग रह गए। पुलिस ने 22 दरवाजे तोड़कर सर्चिंग की।

उसके बाद एक हिस्से में 30 फीट का गैरेज व उसके ऊपर बना हॉल तोड़ दिया। शफी के परिजनों की याचिका पर हाल ही में कोर्ट ने सीमा से बाहर अवैध निर्माण तोड़ने की छूट प्रशासन को दी थी। बाकी अवैध निर्माण पर जुर्माने लगाने की कार्रवाई करने को कहा था। बंगले के नीचे गैरेज के बड़े गेट पर लगे ताले को तोड़ा और एएसपी मनकामना प्रसाद, सीएसपी, तहसीलदार नारायण नांदेड़ ने अंदर प्रवेश किया तो गैरेज में खिड़की थी। एएसपी ने खिड़की को लात मारकर खोला तो अंदर कमरे व उनमें कई दरवाजे मिले। 200 बाय 80 वर्गफीट में 72 से ज्यादा कमरे बताए जा रहे हैं।

शफी पर 1974 में दर्ज हुआ था पहला मामला, 21 साल से है फरार

पुलिस ने बताया कि मोहम्मद शफी ने मुंबई के माफिया, अंडरवर्ल्ड डाॅन हाजी मस्तान के साथ काम किया है। शफी के विरुद्ध 1974 में पहला अपराध धारा 9 ओपियम एक्ट के तहत थाना कोतवाली में पंजीबद्ध किया था। उस दौर में अवैध कार्य से बेहिसाब संपत्ति पाकर शफी से ‘शफी सेठ’ बना। कई लोगों को डराकर उनकी जमीन अपने व रिश्तेदारों के नाम की। उस पर कुल 4 एनडीपीएस एक्ट, 3 ओपियम एक्ट, 4 अन्य धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हैं। 32 किलो हेरोइन के मामले में 21 साल से फरार है। एसपी हितेश चौधरी ने बताया अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा।

कमरों में मादक पदार्थ नहीं मिला
कुख्यात तस्कर का बंगला होने पर प्रशासन के साथ मादक पदार्थ की खोज में नारकोटिक्स विभाग का डीएसपी मोहन (डॉग) भी पहुंचा। हालांकि कोई मादक पदार्थ हाथ नहीं लगा। इस दौरान बंगले में अलग-अलग कमरों पर शफी के भाई मोहम्मद जरीफ व मोहम्मद असलम के नाम की प्लेट लगी मिली।

हमने नपा के माध्यम से शफी के बंगला नंबर 102 को नोटिस जारी किया था। इसमें कोर्ट ने सीमा से बाहर बने अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई करने की छूट दी थी। इससे लगा बंगला नंबर 103 भी है। इसकी जांच शुरू कर दी है।' - नारायण नांदेड़, तहसीलदार, मंदसौर