ग्वालियर

जहरीली शराब से पांच और मौतें, अब तक 21:मुरैना कलेक्टर और एसपी को हटाया, एसडीओपी सस्पेंड, पूरा थाना लाइन अटैच, जांच एसआईटी करेगी

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मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से बुधवार को पांच और लोगोें की मौत हो गई। अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। हैरानी की बात है कि मौतें सोमवार से हो रही हैं, जबकि सरकार बुधवार को एक्शन में आई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना दिल्ली दौरा रद्द कर सुबह-सुबह अफसरों की बैठक बुलाई। इसमें गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा के साथ संभाग के अफसर मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने मुरैना कलेक्टर अनुराग वर्मा और एसपी अनुराग सुजानियां से शराब कांड के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- दिखवाते हैं। इस पर सीएम नाराज हो गए हैं और उन्होंने दोनों को तत्काल पद से हटाने के आदेश दे दिए। एसडीओपी सुजीत भदौरिया को सस्पेंड और बागचीनी थाने का पूरा स्टाफ लाइन अटैच कर दिया। फिर राज्य शासन ने डिंडोरी कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन को मुरैना का नया कलेक्टर बनाया है।

साथ ही भोपाल में सेनानी 25वीं वाहिनी विसबल के सुनील कुमार पांडे को एसपी पदस्थ किया गया है। हटाए गए वर्मा को शासन में उप सचिव तथा सुजानियां को पीएचक्यू में भेजा गया है। सीएम ने घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी। इसमें अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, एडीजी ए. सांई मनोहर और डीआईजी मिथिलेश शुक्ला को रखा गया है। एसआईटी गुरुवार से ही जांच शुरू करेगी।

जहरीली शराब मेें इंडस्ट्रियल स्प्रिट का उपयोग होने की संदेह: बागचीनी के मानपुरा, छेरा गांव में जिस जहरीली शराब से मौत हुई उसमें इंडस्ट्रियल स्प्रिट और उसे फाड़ने के लिए सस्ते जहरीले केमिकल का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है। यह स्प्रिट मुरैना में हरियाणा व राजस्थान से केमिकल के नाम से आता है।

कैसे हो रहा अवैध का गोरखधंधा : सरकारी ठेके लेने वाले शराब ठेकेदारों के मुताबिक आबकारी अफसरों की मिलीभगत से अवैध वसूली कर कच्ची शराब, स्प्रिट से बनी शराब का धंधा खड़ा हो गया है। ठेकेदार से जितने का काम उसने जिले में लिया है, उस नाम से प्रतिशत तय कर मदद की जाती है। प्रतिशत नहीं देने पर अवैध शराब कारोबार को प्रोत्साहित किया जाता है।

ढाबों पर और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब, कच्ची शराब, स्प्रिट से बनी शराब, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों के कहने पर चलने वाले माफियाओं से रिश्तेदारों से अवैध शराब का कारोबार किया जाता है। खरगोन और सेंधवा कच्ची शराब के मजबूत गढ़ बने हुए हैं। हाईवे होने के कारण स्प्रिट के टैंकर, जो दूसरे राज्यों में जाते हैं, वह ढाबों पर स्प्रिट उतार जाते हैं। अभी भाजपा के एक सरपंच स्प्रिट के कारोबार में पकड़े गए। बड़वानी जिले में मंत्री के रिश्तेदार की होटल पर शराब पकड़ाई है। इन सभी मामलों में मामूली कार्रवाई की गई।

प्रदेश की 17.7 फीसदी आबादी नशे की लत की शिकार : नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर और एम्स दिल्ली की ओर से वर्ष 2019 में देशभर में नशे की आदतों को लेकर मैग्निट्यूड ऑफ सबस्टेंस यूज इन इंडिया रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में कुल 17.7% आबादी किसी न किसी प्रकार के नशे की लत की शिकार है।

इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं

  • शराब पीने के 24 घंटे बाद जब पहले बीमार व्यक्ति की शिकायत मिली तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? प्रशासन क्यों मौन रहा?
  • प्रशासन और पुलिस ने क्या किया? 48 घंटे तक सैंपल क्यों नहीं लिया गया? विसरा भी नदारद है?
  • फैक्ट्री पर छापा क्यों नहीं मारा गया? पहले भी इसी फैक्ट्री का टैंकर पकड़ा गया था, तब सचेत क्यों नहीं हुए? ऐसी अनदेखी क्यों?
  • पुलिस और आबकारी अफसरों की इतने बड़े स्तर पर सांठ-गांठ का पता कैसे नहीं चला?
  • उज्जैन की घटना अक्टूबर में हुई थी, उसके बाद भी इसी तरह जांच, सजग रहने और छानबीन के आदेश थे, फिर भी लापरवाही कैसे हुई? कौन जिम्मेदार है?
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अवैध शराब बिकने से 9 माह में सरकार के 1 हजार करोड़ डूबे

भोपाल. प्रदेश में जहरीली शराब से बीते 9 महीने में सरकार के एक हजार करोड़ रु. डूब गए हैं। आबकारी विभाग, पुलिस और स्थानीय नेताओं के गठजोड़ से अवैध शराब का सिंडीकेट खड़ा हो गया है। इसकी वजह से वैध शराब के बराबर ही अवैध शराब बिक रही है। पिछले महीने मप्र देसी-विदेशी मदिरा व्यवसायी एसोसिएशन ने 17 दिसंबर और 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री को दो पत्र लिखे थे।

इसमें अवैध शराब से एक हजार करोड़ रु. की कर चोरी का जिक्र था। लेकिन, इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वैध शराब से सरकार को सालाना 6 हजार करोड़ रु. राजस्व मिलता है। ठेकेदार शराब की पर्ची कटाने के बाद 40% माल कम उठाते है, जिससे वेट पर ही 600 करोड़ का घाटा हुआ है।

लिकर्स एसोसिएशन ने ये मुद्दे उठाए

  • प्रदेश में शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों पर जबरदस्त सख्ती की जाए, जिससे दो नंबर की अवैध शराब नहीं निकलेगी। शासन को अवैध शराब पर लगाम कसने से दो हजार करोड़ राजस्व बढ़ जाएगा।
  • बॉर्डर से लगे झाबुआ और अलीराजपुर में हरियाणा और चंडीगढ़ के ठेकों से शराब की तस्करी मध्यप्रदेश और गुजरात में हो रही है। इससे शासन को वैट और 8 प्रतिशत परिवहन शुल्क का नुकसान हो रहा है।
  • प्रदेश में ड्यूटी बढ़ने से शराब बहुत महंगी हो गई है। ठेकेदार एमआरपी पर बेचते है। आसपास के सभी राज्यों में ड्यूटी कम होने से शराब सस्ती है। ये अवैध शराब प्रदेश में बिक रही है, जिससे राजस्व नुकसान बढ़ रहा है।