बालाघाट

10 साल में 500 एकड़ बंजर भूमि पर आबाद किया जंगल

बालाघाट

बालाघाट । मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क के जिले से लगते कॉरिडोर में आठ गांवों के आदिवासियों का संकल्प अब सैकड़ों पेड़ों के रूप में पूरा हुआ है। आदिवासियों ने बंजर जमीन पर एक नया जंगल तो तैयार किया ही, उसे बचाए रखने का जज्बा 10 साल बाद भी कायम है। एक सरकारी वनरक्षक की मदद से इलाके में पनपने योग्य पेड़ों के बीज तैयार करवाए गए। उनसे पौधे उगाए गए, फिर करीब 500 एकड़ बंजर जमीन में उन्हें रोपा गया। पौधों की रखवाली के लिए चौकीदार तैनात किया गया। सामूहिक जागरूकता और प्रयासों का परिणाम यह है कि इलाके में नया जंगल लहलहा रहा है।

वर्ष 2008 में वनरक्षक भरतलाल नेवारे ने बिरसा वनमंडल के दमोह बीट में ड्यूटी संभाली। उस समय रेलवाही, बनाथरटोला, पटेलटोला, जामटोला, दोऊटोला, पंचायत परसाही, बीजाटोला, सत्ताटोला गांव की सीमाओं में जंगल नहीं था। इन आठ गांवों के आदिवासियों ने जंगल का महत्व समझते हुए वनरक्षक से सलाह लेकर गांव के आसपास की सरकारी 210 हेक्टेयर (500 एकड़) जमीन पर पौधारोपण कर जंगल लगाने की शुरुआत की।

 

 

 

पार्क के कॉरिडोर वाले जंगल से साल, लेंडिया, धावड़ा, साजा, जामुन, बांस सहित अन्य प्रजाति के पेड़ों के बीज निकालकर एक पौधे तैयार किए गए। आदिवासियों ने पौधों की देखरेख बच्चों की तरह की। उनकी रखवाली के लिए चौकीदार विष्णु मरकाम को जिम्मेदारी दी गई। बंजर सरकारी जमीन को हरा-भरा ही नहीं किया बल्कि उसे जंगल में तब्दील कर दिखा दिया। चौकीदार पहले पौधों की देखरेख करता था अब पेड़ों की रखवाली करता है।

संसाधनों के लिए 720 घरों से जुटाते हैं धान

 

 

 

चौकीदार को वेतन देने के लिए 720 घरों से हर साल छह-छह किलो धान एकत्र किया जाता है। हर साल करीब 43 क्विंटल धान इकट्ठा हो जाता है। इसे बेचकर जंगल की रखवाली करने वाले चौकीदार को वेतन देने के साथ ही और अन्य खर्च का इंतजाम किया जाता है। 15 ग्रामीणों की एक समिति भी है, जो इसका हिसाब-किताब रखती है।

समिति के अध्यक्ष बाबूलाल दांदरे, तुलसीराम मरकाम समेत अन्य ग्रामीण बताते हैं कि अब पूरे इलाके में जंगल तैयार होने से यहां बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, बायसन, हिरण के अलावा अन्य वन्यप्राणी विचरण करते हुए दिखाई देते हैं। साथ ही हर साल बारिश भी अच्छी होती है।

 

 

 

गर्मी के दिनों में भी यहां का वातावरण ज्यादा गर्म नहीं होता है। ऐसे में जंगल की तरफ घूमने पर्यटक भी आते हैं। ग्राम रेलवाही, बनाथरटोला, पटेलटोला, जामटोला, दोऊटोला में 480 घर हैं और आबादी करीब 2400 है। जबकि ग्राम परसाही, बीजाटोला, सत्ताटोला में 240 मकान हैं और आबादी करीब 1134 है।

- वनरक्षक भरतलाल नेवारे से आदिवासियों ने सलाह ली। हमारे वनरक्षक जंगल से बीज लेकर आए फिर ग्रामीणों को पौधे तैयार करके दिए। 10 सालों में जंगल हराभरा हो गया है। - पीआर मदनकर, रेंजर, वन विभाग, बिरसा (बालाघाट)