उज्जैन

जयघोष के साथ महालक्ष्मी को कराया गृहप्रवेश

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महाराष्ट्रीयन परिवारों में दस दिनी गणेशोत्सव का उल्लास शनिवार को दोगुना हो गया। अवसर था तीन दिनी महालक्ष्मी उत्सव के पहले दिन का। महालक्ष्मी आली सोनाच्या पायानी के जयघोष के साथ हल्दी-कुमकुम के छापे बनाते हुए ज्येष्ठा और कनिष्ठा गौरी को घर में प्रवेश कराया गया। प्रथम पूज्य वक्रतुंड के साथ उन्हें विराजित किया गया। उनको विराजित करने के लिए घर में सुंदर साज-सज्जा की गई थी।  उन्हें भाजी-बाखर (रोटी-सब्जी) और वरण भात (दाल-चावल) का नैवेद्य लगाया गया।
उज्जैन मे भी देशपांडे परिवार द्वारा महालक्ष्मी जी की स्थापना की है।
परिवार के सदस्य स्वप्निल देशपांडे और परिधि देशपांडे ने बताया की सप्तमी को अनुराधा नक्षत्र में महालक्ष्मी जी का आगमन होता है। उन्हें सम्मानपूर्वक स्थापित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी ज्येष्ठा- कनिष्ठा के रूप में अपने बच्चों के साथ तीन दिन अपने मायके पधारती हैं। पहले दिन स्थापना पश्चात सुहागिन महिलाएं हल्दी कुमकुम हेतु एकत्रित होती हैं। दूसरे दिन महानैवेद्य लगाया जाता है। इसमें 16 प्रकार के मीठे पकवान, 16 प्रकार की सब्जियां सहित विभिन्न भोग लगते हैं। तीसरे दिन सुख-समृद्धि की कामना कर उन्हें विदाई दी जाती है।