जयपुर

राजस्थान: गहलोत सरकार का फैसला-विनायक दामोदर सावरकर अब 'वीर' नहीं

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राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने विनायक दामोदर सावरकर से जुड़ा एक फैसला किया है। कांग्रेस सरकार ने सावरकर से जुड़े चैप्टर में बदलाव करते हुए उनके आगे से वीर शब्द हटा दिया है।इससे  पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने कुछ साल पहले तैयार पाठ्यक्रम में सावरकर को वीर और महान देशभक्त बताया था।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, कक्षा 12वीं के इतिहास के किताब में सावरकर को लेकर कुछ संशोधन किया गया है। राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) के लिए छपी पुस्तकें राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) द्वारा बाजार में वितरित की गई हैं। यह परिवर्तन इस वर्ष 13 फरवरी को गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था जिससे यह अध्ययन किया जा सके कि राजनीतिक हितों की पूर्ति और इतिहास को विकृत करने के लिए स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पहले बदलाव किए गए थे या नहीं।

इससे पहले भी मई महीने में राजस्थान की कांग्रेसी सरकार ने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में सावरकर से जुड़े पाठ के तथ्यों में कुछ बदलाव किया था। दरअसल  राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पाठ्यक्रम समीक्षा समिति बनाई गयी थी। समिति की सिफारिश के बाद सावरकर से जुड़े चैप्टर में लिखा गया कि सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी थी।

इसके अलावा  10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में संघ विचारक विनायक दामोदर सावरकर को ''पुर्तगाल का पुत्र'' बताने पर भी काफी विवाद हुआ था। हालांकि कांग्रेस सरकार ने बदलाव को शिक्षाविदों की अनुशंसा बताया है।

वहीं समिति ने हाल ही में सावरकर की लघु आत्मकथा का पुनरीक्षण कर उनके नाम के आगे से 'वीर' शब्द हटा कर विनायक दामोदर सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या का षडयंत्र करने और उनकी हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का समर्थक बताया है।

स्कूली पाठ्यक्रम के लिए किये जा रहे बदलाव को लेकर न केवल विपक्षी पार्टी ने सरकार को घेरा है बल्कि कांग्रेस के एक कैबिनेट मंत्री ने भी अपनी पार्टी के मंत्री को ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने के लिये चेतावनी उस समय दी जब कक्षा आठ की अंग्रेजी की पुस्तक में सती या जौहर के एक चित्र को हटा दिया गया था।