भोपाल

चार विधानसभा के बीच फंसा नगर, जो जीता वो वापस नही आया

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मप्र में विधानसभाओं के उपचुनाव पूरे जोर पर है। राजगढ़ जिले में भी ब्यावरा विधानसभा में उपचुनाव है। ब्यावरा विधानसभा का मतदान केंद्र 35 एवं 36 पचोर शहर के भोजपुरिया क्षेत्र में है। हालांकि भोजपुरिया की लगभग 10 कालोनी ब्यावरा विधानसभा में है लेकिन 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के नाम अपने अपने गांव में जुड़े है इसलिए वर्तमान में पचोर के 1550 मतदाता  इस उप चुनाव में मतदान करेंगे।
अगर पचोर की बात की जाए तो लगभग 18 हजार मतदाताओं के इस शहर का अधिकांश भाग सारँगपुर विधानसभा क्षेत्र में है। परंतु वार्ड 5 ब्यावरा में, वार्ड 5 का ही एक हिस्सा गांगाहोनी राजगढ़ में, एवं वार्ड 9 कंजरूपुरा क्षेत्र का कुछ हिस्सा नरसिंहगढ़ विधानसभा में पड़ता है। 
यूं तो पचोर शहर स्वतंत्र तहसील है लेकिन पचोर का कालेज रोड़ इलाका राजगढ़ तहसील में एवं भोजपुरिया ब्यावरा तहसील क्षेत्र में है। 
उल्लेखनीय बात यह है कि सारँगपुर विधानसभा में हर बार भाजपा का विधायक इसलिए चुना जाता है क्योंकि पूरी विधानसभा में हार के बाद पचोर तहसील के पचोर एवं उदनखेड़ी से एक तरफा भाजपा को वोट मिलते हैं। 
विगत समय मे 25 वर्षो तक स्व. अमरसिंह कोठार, एक बार गौतम टेटवाल एवं अब लगातार दूसरी बार कुंवर कोठार भाजपा से विधायक रहे हैं। बीच मे एक बार हजारीलाल मालवीय एवं एक बार कृष्णमोहन मालवीय कांग्रेस विधायक जीते थे। 
परन्तु पचोर के विकास के रिकार्ड में या तो नगर पालिका स्तर या जिला स्तर की किसी योजना का ही हाथ होता है। यहां तक कि भोजपुरिया से तो वोट लेने के बाद ब्यावरा के विधायक कभी आकर भी नही झांकते , चाहे वह किसी भी दल से क्यों न हो। 
यही वजह है कि विकास कार्यो से अछूती निजी कालोनी शिवधाम जहां यूं यो 500 परिवार से अधिक लोग निवासरत है परंतु वोटर 250 से 300 ही होंगे लेकिन शिवधाम वासियों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार किया है। इसकी घोषणा विधिवत बेनर लगाकर की गई। लेकिन फिलहाल तक तो किसी ने आकर नही झांका है। 
बात पूरी पचोर की भी करें तो विगत 7 वर्षों में वर्तमान विधायक ने चार आने भी पचोर के विकास के नाम पर खर्च नही किए है। अलबत्ता रुकावटों की बात की जाए तो विधानसभा की कार्रवाई ही उठाकर देख ली जाए तो ज्ञात हो जाएगा कि विकास की मांग की या रोड़ा अटकाने की।