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Bihar Assembly Election 2020: नीतीश का चुनावी दांव, कांट्रैक्ट शिक्षकों के जरिए 13 लाख वोटरों को रिझाने की कोशिश

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पटना
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल काफी गरमाया हुआ है। इस बीच नीतीश कुमार ने चुनावों से ठीक पहले एक बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। इस दांव से नीतीश कुमार ने करीब 13 लाख वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। दरअसल, मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग में नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नियोजित शिक्षकों (Contract Teachers) की मांगों को मानकर शिक्षकों को बहुत बड़ा तोहफा दे दिया है। नियोजित शिक्षकों को वेतन में सीधे 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी के अलावा कई लाभ मिलेंगे। बता दें कि नियोजित शिक्षक काफी लंबे अरसे से अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उधर, चुनाव से पहले शिक्षकों की मांगो को मानकर नीतीश कुमार ने विरोधियों को चुनाव से पहले ही पस्त कर दिया है।



खजाने पर करीब 2,765 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा
नीतीश सरकार ने साढ़े 3 लाख नियोजित शिक्षकों को वेतन में 22 फीसदी इजाफा करने की घोषणा की है। साथ ही इस नए वेतन मद से खजाने पर करीब 2,765 करोड़ का भार बढ़ेगा। उधर, राजनीति के जानकारों का कहना है कि साढ़े 3 लाख शिक्षकों के जरिए नीतीश कुमार ने 13 लाख वोटरों को अपनी ओर खींच लिया है। नीतीश के इस एलान के बाद शिक्षक और उनके परिजनों का वोट नीतीश की ओर ही जाने की पूरी संभावना है। बता दें कि नीतीश सरकार ने मूल वेतन में 15% की बढ़ोतरी की है। EPF मिलाकर करीब 22% वेतना बढ़ जाएगा। अप्रैल 2021 से प्रभावी नई नियमावली प्रभावी होगी। तभी से शिक्षकों बढ़ा हुआ वेतन मिलना शुरू होगा।

जानें और क्या मिलेगा फायदा
अब नियोजित टीचरों को 15 दिन की पैटरनिटी लीव यानी पितृत्व अवकाश मिल सकेगा। 7 साल की जगह अब 3 साल की नौकरी पर ही पैटरनिटी लीव मिलना शुरू हो जाएगा। इसके अलावा मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश 135 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया है। स्थानान्तरण, प्रोमोशन समेत अन्य तरह की सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा। इसके अलावा अब बिहार के नियोजित शिक्षक किसी कोने में ट्रांसफर ले सकेंगे। इसके साथ ही संयुक्त सीमित परीक्षा के माध्यम से प्रोमोशन का भी लाभ मिलेगा। वहीं, शिक्षक की मौत के बाद परिजनों को मिलेगा अनुकंपा पर नौकरी भी मिल सकेगी।

जानें कितना खर्च करेगी सरकार


- सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं एवं नगर निकाय संस्थानों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों और लाइब्रेरी इंचार्जों को ईपीएफ स्कीम से फायदा पहुंचाने का निर्णय लिया है, इसमें 815 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

-वर्तमान वेतन संरचना में सुधार करने के उद्देश्य से उनको 1 अप्रैल, 2021 को देय मूल वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार वेतन में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी।

- नियोजित शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने पर लगभग 1950 करोड़ का वार्षिक अतिरिक्त व्यय होगा। साथ ही ईपीएफ योजना से शिक्षकों को फायदा पहुंचाने में कुल अतिरिक्त वित्तीय भार लगभग 2765 करोड़ का होगा।

-गौरतलब है कि 1 जुलाई 2015 को वेतन में 20 प्रतिशत की वृद्धि, वर्ष 2017 में सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप वेतन में 17 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी और वर्तमान में लगभग 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि पंचायतीराज संस्थाओं एवं नगर निकाय संस्थानों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्य सरकार की ओर से दी गई है। इस प्रकार साल 2015 से अबतक लगभग 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देय वेतन में हुई है।