राष्ट्रीय

क्या आप दर्पण के सामने कह सकते है कि आप पवित्र है? तो फिर क्यों सुने ईश्वर!

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अधिकतर लोग पूजा-पाठ करते हैं ,कुछ बहुत अधिक करते हैं कुछ कम करते हैं । कुछ हाथ जोड़कर काम चला लेते हैं । किन्तु कुछ को कृपा इश्वर की मिल पाती है और अधिकतर को नहीं मिलती और वह भ्रम पाले रहते हैं की ईश्वर शायद परीक्षा ले रहा है , कारण परिक्षा नहीं होता, कारण आपकी खुद की कमियाँ होती हैं , आप शुद्ध -पवित्र -नैतिक दृष्टि से सही -चारित्रिक दृष्टि से सही नहीं हैं इसलिए आपको पूर्ण कृपा नहीं मिल पाती । क्या आप ईश्वर के सामने जल-अक्षत-पुष्प लेकर संकल्प पूर्वक कह सकते है की यदि में मन-वचन और कर्म से शुद्ध-सही और पवित्र होऊ तो है ईश्वर मेरा यह कार्य कर दे या सहायक हो ,,यदि आप नहीं कह सकते तो वह ईश्वर क्यों सुने आपकी पुकार ,,न कह पाने का मतलब है आपको खुद पर विश्वास नहीं है ,आपने कदम-कदम पर गलतियां की है ,धोखा दिया है ,अन्याय किया है ,किसी के भी साथ ,कभी भी!  तभी तो आप आज यह कहने की स्थिति में नहीं है ,नहीं कह सकने की स्थिति में आपका आत्मबल कमजोर होता है ,ईश्वर से संकल्प पूर्वक माँगने में अपने मन का चोर आड़े आता है ,,आप ईश्वर से तो चाहते है पर अपने को नहीं देखना चाहते ऐसे ईश्वर से भी नहीं मिलता या कम मिलता है ,,कारण ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं एक ऊर्जा है जो सर्वत्र व्याप्त है ,वह तो आपके अंदर भी है वही न हो तो आप भी कहाँ होंगे ,वह तो सबमे है ,वह तो आपके अन्दर बैठा सब जान रहा है ,आपके अंतर्मन की बाते भी वह जान रहा है ,आपके क्रिया कलाप भी वह देख रहा है ,जब आप गलती करते है तो वह जान रहा होता है ,बोलता कुछ नहीं क्योकि वह अंतर्मन के माध्यम से बोलता है और आप अपने अंतर्मान की सुनते नहीं !,,इसीलिए जब आप उससे माँगते है तब भी वह नहीं बोलता पर देता भी कुछ नहीं ,चाहे घंटो पुकारे !,,आप उसे बाहर आवाज देते है जबकि वह तो आपके अंदर ही बैठा सब देखता रहता है,आपने गलतियां की होती है ,पुरे आत्मविश्वास से यह कहने की स्थिति में नहीं होते की मैंने कभी कोई गलती-अन्याय-कष्ट नहीं दिया या किया है मुझे आप यह दें ।,इसलिए आपकी मानसिक ऊर्जा ईश्वरीय ऊर्जा को आंदोलित नहीं कर पाती फलतः आपकी आवाज उस तक नहीं पहुच पाती , और आपको अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता ,, अतः अपने को ऐसा बनाए की आप ईश्वर के सामने कह सके की मैंने कभी कोई गलती नहीं की , किसी को कष्ट नहीं दिया ,किसी की स्त्री या पुरुष पर गलत दृष्टि से नजर नहीं डाली ,पर द्रव्य हरण नहीं किया ,में पूरी तरह सही हू आप मेरा यह कार्य करे या सहायक हो ।,ऐसे में ईश्वरीय ऊर्जा जरुर सहायक हो सकती है ,क्योकि आपका आत्मविश्वास और श्रद्धा उसे विवश करेगा और आपको उससे जोड़ेगा ।

जय माता की। सादर जय श्री राम