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सहारा ग्रुप में डूबने की कगार पर 4 करोड़ लोगों का रुपया, यह है पूरा मामला

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 नई दिल्ली. सहारा क्रेडिट काेऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के जरिये बचत करने वाले करोड़ों डिपॉजिटर्स को अब उनके पैसे डूबने का खतरा बढ़ गया है. कई सालों तक लगातार ​इस स्कीम में बचत करने वाले डिपॉजिटर्स अब अपनी रकम वापस पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. लेकिन, सहारा हेल्पलाइन नंबर्स से उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है. सुब्रत रॉय सहारा (Subrata Roy Sahara) की सहारा ग्रुप के ऐसे 4 कोऑपरेटिव सोसाइटीज में करीब 4 करोड़ डिपॉजिटर्स ने बचत के लिए पैसे जमा कर रखा है. अब इन सोसाइटीज पर केंद्र सरकार की नजर है. दरअसल, सहारा ग्रुप (Sahara Group) पर फ्रॉड का आरोप लगा है. माना जा रहा है कि सहारा ग्रुप ने इन डिपॉजिटर्स से 86,673 करोड़ रुपये जुटाए और फिर इसमें से 62,643 करोड़ रुपये एम्बी वैली लिमिटेड में इन्वेस्ट कर दिया.

सरकार के पास 15 हजार से ज्यादा शिकायतें
कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज में देशभर से करीब 15,000 से ज्यादा डिपॉजिटर्स ने शिकायत की है. इन लोगों की शिकायत है कि उनकी मैच्योरिटी के बाद भी इन सोसाइटीज की तरफ से उन्हें पेमेंट नहीं मिल रहा है. जिन सोसाइटीज को लेकर ये शिकायतें आ रही हैं, उनमें हमारा इंडिया, स्टॉर्स मल्टीपर्पज, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव और सहारयन यूनिवर्सल है.

3 सोसाइटीज का ​रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का निर्देश
ध्यान देने वाली बात है कि 15 हजार से ज्यादा शिकायत ही डिपॉजिटर्स के​ लिए संकट की सही स्थिति बयान नहीं कर रही है. इंंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि मध्य प्रदेश के आशेकनगर जिले से करीब 1,000 डिपॉजिटर्स ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है. इंडियन एक्सप्रेस ने यहां के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर अभय वर्मा के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने 24 अगस्त को रजिस्ट्रार को लिखित निर्देश दिया कि इनमें 3 सोसाइटीज का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाये और उनसे डिपॉजिटर्स के पैसे वापस करवाये जाएं.

उन्होंने कहा कि शिकायतों के बाद जांच में पता चला कि इन डिपॉजिटर्स को स्टार्स मल्टीपर्पज, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव और सहारयन यूनिवर्सल द्वारा फ्रॉड का शिकार बनाया गया है. इन्होंने ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर बड़े स्तर पर रकम प्राप्त की है. वर्मा ने बताया है कि उनके जिले में 10 हजार से ज्यादा डिपॉजिटर्स हैं, जिन्होंने इसमें पैसे लगाये हैं. अब तक 1 हजार लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है. एक पब्लिक नोटिस जारी कर ऐसे डिपॉजिटर्स से कहा गया है कि वो अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

क्या है सहारा ग्रुप का दावा
इस रिपोर्ट में सहारा के प्रवक्ता के हवाले से लिखा गया है कि कंपनी इस मामले पर काम रही है. 2019 में कंपनी ने 17 हजार करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है. प्रवक्ता का कहना है कि 4 करोड़​ डिपॉजिटर्स में से 20 हजार ने ही शिकायत की है. प्रतिशत के लिहाज से देखें तो यह मात्र 0.005 प्रतिशत है. उन्होनें यह भी दावा किया कि 19,500 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है. अन्य ने मैच्योरिटी डॉक्युमेंट्स नहीं सबमिट किये हैं, इसलिए उनका पेमेंट रुका हुआ है.

सहारा एजेंट्स ने भी लगाये ये आरोप
केवल डिपॉजिटर्स ही नहीं, बल्कि इन डिपॉजिट्स को कलेक्ट करने वाले एजेंट्स ने भी रजिस्ट्रार को शिकायत की है. एक एजेंट का कहना है कि जब भी जांच एजेंसियां कोई कार्रवाई करती हैं, तब सहारा ग्रुप प्रबंधन इन स्कीम्स के नाम और नेचर में बदलाव कर देता है. इस बारे में डिपॉजिटर्स को कोई जानकारी तक नहीं दी जाती है. वो एक स्कीम के​ डिपॉजिट को किसी दूसरे स्कीम में डिपॉजिट कर देते है।

क्या है कंपनी की सफाई?
इस मामले पर सहारा प्रवक्ता का कहना है कि बाहर​ निकाले जा चुके असंतुष्ट कर्मचारियों की तरफ से ये आरोप लगाये गये हैं. वो सोसाइटी की इमेज को धूमिल करना चाहते हैं. स्कीम्स के बीच फंड के हेरफेर को लेकर प्रवक्ता ने कहा कि हम किसी भी जांच या आडिट के लिए तैयार हैं. हमने नियमों का पालन किया है.