none

कोरोना का टीका है सुरक्षित, संक्रमण का खतरा नहीं, जानिए अहम सवालों के जवाब

none

कोरोना महामारी के नए स्ट्रेन के बीच भारत सरकार ने टीकों को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह की अफवाहें चल रही हैं जिससे लोग डरे हुए हैं। इससे जुड़े कुछ अहम सवालों से जवाब यहां जानिए। 


वैक्सीन अगर 60 से 95 प्रतिशत असरदार तो उससे बचाव संभव 
कोरोना विशेषज्ञों के अनुसार, यदि वैक्सीन अगर 60 से 95 प्रतिशत असरदार हुआ तो उससे बचाव संभव है। अमेरिका के मेयो क्लीनिक के वायरोलॉजिस्ट ग्रेगरी पोलैंड ने वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही भ्रांतियों और अफवाहों पर लोगों से विश्वास नहीं करने की अपील की है। उन्होंने कहा वैज्ञानिक अध्ययन और अपने डॉक्टर पर विश्वास करें।


1- टीके सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वह बहुत जल्दबाजी में बने हैं? 
दुनिया की कोई भी दवा कंपनी किसी दवा या टीके को बनाने में तय मानकों से समझौता नहीं करती है। किसी दवाई आपकी् को तैयार करने में वैज्ञानिकों की पूरी टीम उसकी सुरक्षा और प्रभाव पर काम करती है अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं परीक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद इसे अनुमति देती हैं।

2- टीका लगने पर संक्रमण और मौत का खतरा बढ़ जाएगा?
कोरोना का टीका लगने के बाद संक्रमण और मौत का खतरा बढ़ने की कोई गुंजाइश नहीं है। वायरस के कमजोर अंश से तैयार वैक्सीन इस तरह तैयार की जाती है कि उससे संक्रमण संभव नहीं है। वैक्सीन जब गंभीर रूप से बीमार लोगों को लगेगी तो उन्हें कुछ लक्षण आएंगे लेकिन जानलेवा स्थिति नहीं बनेगी।

टीका इस बात को ध्यान में रखकर लगवाना है कि वायरस को फैलने से रोकने के साथ ही खुद का बचाव करना है जिससे दूसरी स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों को बढ़ने से रोका जा सके। घबराने या डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।


3- टीका लगवाने के बाद मास्क पहनने की जरूरत नहीं है?
टीका तैयार करने वाली कंपनियों के विशेषज्ञों के साथ दुनियाभर के वैज्ञानिकों कह चुके हैं कि टीका लगवाने के बाद भी मास्क पहनना जरूरी होगा। इसके अलावा सैनिटाइजर का प्रयोग और 6 फुट की दूरी का पालन जीवन का हिस्सा बना रहेगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार, टीके से आप वायरस के प्रति सुरक्षित हो सकते हैं लेकिन अगर आप में वायरस है तो दूसरा व्यक्ति आपसे जरूर संक्रमित हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखकर सभी तरह की सावधानियों का पालन करना होगा। टीका कितना सुरक्षित है यह आने वाले समय में पता चलेगा।

4- टीके के जरिए लोगों की निगरानी की जा सकेगी?
ऐसी कौन सी वैक्सीन नहीं है जिसमें माइक्रोचिप है और ना ही किसी की इससे निगरानी हो सकेगी। यह भ्रम तक फैला जब बिल गेट्स ने कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन डिजिटल सर्टिफिकेट पर विचार कर रहा है। 

इसका मकसद टीके का पूरा रिकॉर्ड रखना था। उधर इस सोशल मीडिया पर अफवाह फैल गई कि टीके में ऐसी कोई चिप होगी जो मस्तिष्क तक पहुंच जाएगी और व्यक्ति की हर व्यक्तिगत जानकारी को एकत्रित किया जा सकेगा ये पूरी तरह गलत है, ऐसा अभी तक टीके की दुनिया में कुछ भी नहीं हुआ है।

5- टीका लगने पर डीएनए में बदलाव हो सकता है?
कोरोना का जो भी टीका सामने आया है वह एमआरएनए तकनीक पर आधारित है। इसके तहत शरीर में इंजेक्शन जाने के बाद वह वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक तंत्र विकसित करते हैं। टीका शरीर में पहुंचने के बाद मेमोरी सेल्स विकसित कर देता है उसके बाद उसका प्रभाव शरीर के किसी भी अंग पर नहीं पड़ता है।

6- जिन लोगों कोरोना हो गया है क्या उन्हें वैक्सीन की जरूरत है?
यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि संक्रमित में कब तक प्राकृतिक एंटीबॉडी रहती है। ऐसे में जिन्हें कोरोना हो गया है वे भी टीका लगवा सकते हैं। हां टीका संक्रमण के 90 दिन के बाद लगवा लेना चाहिए क्योंकि इसके बाद इम्यूनिटी कम होने से आपको खतरा बढ़ सकता है। जो संक्रमित में हैं। उनमें लक्षण है या क्वारंटीन में हैं। ऐसे लोगों को टीका लगवाने से बचना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही टिका लग सकता है।

7- टीका लगने के गंभीर दुष्प्रभाव हैं जिस से बचना मुश्किल है?
हर टीके का कुछ दुष्प्रभाव होता है। इसका मतलब है कि सही पर टीके का असर हो रहा है। आमतौर परजहां इंजेक्शन लगा है वहां दर्द महसूस हो सकता है। हल्का बुखार या थकान हो सकती है। कोई अन्य लक्षण है तो उसका उपचार संभव है। कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होता है। परीक्षण में 60 से 95 प्रतिशत असरदार है तो भी वह कारगर है। कोरोना के जिन टीमों को अनुमति मिली है उसके परीक्षण में सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को हल्की तकलीफ देखने को मिली है।