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सच में दादाजी, कोरोना साँसों से फैल जाता था??? -प्रबुद्ध सौरभ (कवि, स्वतंत्र लेखन)

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Year : 2050

- "सच में दादाजी, कोरोना साँसों से फैल जाता था???"
- "साँसों से तो नहीं, लेकिन अगर एक मीटर की दूरी से कोई इन्फेक्टेड आदमी छींक दे तो सामने वाले को हो जाता था।"
- "फिर???"
- "पहले तो हमने दूसरे देशों के बारे में सुना। फिर देखते-देखते यह भारत के सामने भी एक बड़ी चुनौती बन कर खड़ा हो गया।"
- "फिर?"
- "फिर हम लड़े।"
- "कैसे लड़े कोरोना से?"
- "नहीं नहीं, कोरोना से नहीं। हम आपस में लड़े।"
- "आपस में???"
- "हाँ, हिन्दू मुसलमान से लड़ा, मुसलमान हिन्दू से लड़ा, सवर्ण दलित से लड़े, कांग्रेसी भाजपाई से लड़े, एक प्रदेश वाले दूसरे प्रदेश वालों से लड़े, एक धर्म के कुछ लोग डॉक्टरों से लड़े, दूसरे धर्म के लोग उस धर्म के लोगों से लड़े, जनता पुलिस से लड़ी, गांधीवादी गोडसेवादियों से लड़े, विपक्ष सरकार से लड़ा, मीडिया हाउसेज एक-दूसरे से लड़े, होम्योपैथी वाले एलोपैथी से लड़े, एलोपैथी वाले आयुर्वेद वालों से लड़े...."
- "किस बात पर?"
- "कोरोना से कैसे लड़ा जाए - इस मुद्दे पर।"
- "लेकिन इस मुद्दे पर आपस में लड़ कर क्या फ़ायदा?"
- "यही पता होता तो लड़ाई क्यों होती!"
- "लेकिन लड़ाई तो कोरोना से थी न?"
- "अपने यहाँ मस'ले से थोड़ी लड़ते हैं, मस'ले पर लड़ते हैं!"
- "अरे तो कोरोना को थोड़ी पता था जाति-धर्म-पार्टी का, वो तो सबके लिए ख़तरा था न?"
- "ये बात कोरोना को पता थी, लेकिन इंसानों को कौन समझाए?"
- "फिर कोरोना से कौन लड़ा?"
- "... ... ... ...वक़्त"
- "मतलब?"
- "नहीं, कुछ नहीं। वक़्त ज़्यादा हो गया है। सो जाओ"
- प्रबुद्ध सौरभ88उफ77प