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चुनाव परिणामों से पहले गलत सूचनाओं को रोकने के लिए Koo App ने जारी की एडवाइजरी

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सूचना की पुष्टि करने के मकसद से यूजर्स को प्रतिष्ठित फैक्ट-चेकर्स तक पहुंच प्रदान की
●    फर्जी खबरों और अनुचित कंटेंट को बढ़ावा देने वाले 800 से ज्यादा स्पैम खातों पर लगाई पाबंदी
●    ऑनलाइन स्वीकृत या प्रतिबंधित चीज़ों के बारे में यूजर्स को सशक्त और संवेदनशील बनाने के लिए कई भाषाओं में सामुदायिक दिशानिर्देश जारी किए

4 मार्च 2022: उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव परिणामों से पहले Koo App ने एक एडवाइजरी  जारी की है। इसका मकसद यूजर्स को जिम्मेदार ढंग से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के साथ गलत सूचना और फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए संवेदनशील बनाना है। एडवाइजरी के हिस्से के रूप में कू ऐप ने प्लेटफॉर्म पर मौजूद सभी 10 भाषाओं में अपने सामुदायिक दिशानिर्देश (Community Guidelines) भी जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश भारतीय संदर्भ से जुड़े हुए हैं और क्रिएटर्स के साथ ही पहली बार सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को ज्यादा बेहतर कंटेंट बनाने के लिए सशक्त बनाते हैं, इसके अलावा यह भी बताते हैं कि जिम्मेदार ऑनलाइन आचरण क्या होता है। ये दिशानिर्देश फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं का विशिष्ट संदर्भ देते हैं और यूजर्स को कुछ भी पोस्ट करने से पहले जानकारी को सत्यापित करने के महत्व पर सूचित करने के साथ ही पर्याप्त सबूत के बिना किसी सूचना को 'फर्जी’ के रूप में करार दिए जाने से भी बचाते हैं। 

चूंकि चुनाव परिणामों से पहले सोशल मीडिया पर आम तौर पर गलत सूचनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिलती है, इसलिए कू ऐप ने यूजर्स को सूचना को प्रमाणित करने के मकसद से प्रमुख थर्ड पार्टी फैक्ट-चेकर्स तक पहुंच भी प्रदान की है। सोशल मीडिया मध्यवर्ती होने के नाते जब तक कि कानून द्वारा जरूरी न हो, कू ऐप स्वयं ना तो इन सूचनाओं के पुख्ता होने का आकलन करता है और ना ही कंटेंट में हस्तक्षेप करता है; और इस प्रकार फैक्ट-चेकर्स तक पहुंच को सक्षम बनाकर ऑनलाइन सुरक्षा और पारदर्शिता के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।

चूंकि फर्जी खबरें (फेक न्यूज) अक्सर बोट्स या स्पैम खातों द्वारा फैलाई जाती हैं, इसलिए कू ऐप गलत सूचनाओं को सीमित करने के लिए ऐसे खातों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखता है और इन्हें प्रतिबंधित करता है। बीते 1 दिसंबर 2021 से 28 फरवरी 2022 तक कू पर स्वयं को समाचार चैनल या पत्रकार के रूप में पेश करने वाले या किसी भी तरह से समाचार से संबंधित होने वाले हैंडल की संख्या 4,720 से अधिक थी, जिसमें से स्पैम या अनुचित सामग्री के कारण 834 को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कू इनके व्यवहार की लगातार निगरानी कर रहा है।

कू ऐप के सीईओ और सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “मूल भाषाओं में आत्म-अभिव्यक्ति के लिए एक सोशल प्लेफॉर्म के रूप में हम क्रिएटर्स का स्वागत करते हैं और यूजर्स को रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए सशक्त बनाते हैं। महत्वपूर्ण घटनाओं से पहले गलत सूचना चिंता का एक प्रमुख विषय है। इस एडवाइडरी के जरिये कू ऐप एक जिम्मेदार मंच के रूप में फर्जी खबरों और द्वेष के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है और अधिक ऑनलाइन सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकता है। ये एडवाइजरी यूजर्स, विशेष रूप से पहली बार सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को सकारात्मक और सम्मानजनक तरीके से तकनीक का फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगी ताकि ज्यादा सार्थक ऑनलाइन संवाद का निर्माण किया जा सके। कू यूजर्स को एक सुरक्षित और व्यापक अनुभव प्रदान करने के लिए लगातार सबसे बेहतरीन तरीकों की पहचान करने का प्रयास करता है।"

चुनावों के दौरान सोशल मीडिया के नैतिक इस्तेमाल के लिए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) द्वारा स्वैच्छिक आचार संहिता के एक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में कू ऐप चुनावी प्रक्रिया में ज्यादा भरोसा पैदा करने के लिए मतदाता साक्षरता को भी बढ़ा रहा है। भारत के संविधान के मुताबिक पहली बार के मतदाताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों पर सशक्त बनाने के लिए मंच ने कू वोटर्स गाइड जारी की हैं। इन्हें चुनाव से पहले कई भाषाओं में पेश किया गया और मतदाता जागरूकता अभियानों जैसे प्लेज टू वोट, यूपी का घोषणापत्र को सफलतापूर्वक पूरा किया है।

कू के बारे में

Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी, ताकि भ…