राजस्थान के बाद अब गुजरात के सरकारी अस्पतालों में नवजातों की मौतों की एक भयावह आंकड़ा सामने आया है। बीते दिसंबर महीने में भाजपा शासित गुजरात राज्य के राजकोट में 111 बच्चों और अहमदाबाद में 85 नवजात बच्चों की मौतें दर्ज की गई हैं।
ये आंकड़े इन दोनों जिलों के सरकारी अस्पताल के हैं। राजकोट के अस्पताल पंडित दीन दयाल उपाध्याय के चिकित्सा अधीक्षक मनीष मेहता ने पत्रकारों को बताया कि अस्पताल में नवंबर महीने में 71 और अक्तूबर में 87 मौतें दर्ज की गई थीं। दिसंबर का आंकड़ा बढ़ने की वजह यह है कि अस्पताल में रैफर मामलों की संख्या अधिक रही थी।
दूसरी वजह यह सामने आई कि अधिकांश नवजातों का जन्म के समय वजन काफी कम था। अहमदाबाद के चिकित्सा अधीक्षक जीएच राठौड़ ने बताया उनके अस्पताल में इन आंकड़ों की वजह समयपूर्व जन्म, कम वजन, संक्रमण और दम घुटने रही हैं।
चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि बीते साल राजकोट के अस्पताल में बीते तीन महीनों में 269 नवजात मर गए और दिसंबर महीने में सबसे अधिक मौतें हुई हैं। वहीं अहमदाबाद में बीते बीते तीन महीनों में 253 बच्चों ने दम तोड़ा।
सरकारी अधिकारियों के अपनी सफाई में कहा है कि राजकोट में कई दूसरे जिले के लोग भी आते हैं और इसके अलावा नवंबर और दिसंबर में अधिक संख्या में प्रसूता अस्पताल पहुंची। यह भी कहा जा रहा है कि नवजातों की मृत्युदर में इजाफे की एक बड़ी वजह सरकारी अस्पतालों में मेडिकल स्टॉफ का कम होना है। इसके अलावा राज्य में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की व्यवस्था कमजोर है। साथ ही राज्य में नवजातों में कुपोषण की समस्या गहरी है।
जवाब देते नहीं बना रूपाणी से
सरकारी अस्पतालों में मौत का आंकड़ा सामने आने के बाद गुजरात सीएम विजय रूपाणी से जब इस पर सवाल किया गया तो वे बिना जवाब दिए ही चले गए। गौरतलब है कि रुपाणी का संबंध राजकोट जिले से है। मीडियाकर्मियों ने जब उनसे पूछा कि बच्चों की मौतों पर आपको क्या कहना है, रुपाणी बिना कोई उत्तर दिए चले गए। हालांकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि राज्य में नवजात मृत्यु दर कम है और यह एक हजार बच्चों में केवल 30 है। कुपोषण, समय पूर्व जन्म या प्रसूताओं का समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाना इसके कुछ प्रमुख कारण हैं।
ये है राजस्थान का हाल, जोधपुर में 146 बच्चों की मौत
यहां के डा. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में दिसंबर महीने में 146 नवजातों की मौतें दर्ज की गई हैं। हालांकि अस्पताल के प्रमुख डा.एसएस राठौर ने कहा है कि अस्पताल में भर्ती बच्चों की तुलना में यह आंकड़ा कम है। इसके अलावा अस्पताल में दूसरे अस्पतालों से बहुत मुश्किल केस भी रैफर होते हैं। अस्तपाल में 4,689 बच्चे दिसंबर में भर्ती हुए और इनमें से केवल तीन प्रतिशत को बचाया नहीं जा सका।
कोटा में मरने वालोें का आंकड़ा 110 पहुंचा
कोटा के जेके लोन गवर्नमेंट हॉस्पिटल में तीन बच्चों की और मौत होने से कुल तादाद रविवार को 110 पर पहुंच गई। शनिवार को यह आंकड़ा 107 का था। राज्य सरकार की एक जांच समिति ने यहां पाया कि अस्पताल में बिस्तरों की संख्या में कमी है और इसमें सुधार किया जाना चाहिए।
बीकानेर में 165 मरे
बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एचएस कुमार ने बताया कि, दिसंबर महीने में अस्पताल के आईसीयू में 162 बच्चों की मौत हुई है। लेकिन अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती गई। बच्चों की जिंदगी बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।